
पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर यूरोपीय यूनियन (EU) की प्रतिक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। शुक्रवार को EU की विदेश मामलों की प्रमुख काजा कल्लास ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार से अलग-अलग फोन पर बातचीत की।
इस दौरान काजा कल्लास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से स्थिति को शांत करने की अपील करती हूं। तनाव किसी के हित में नहीं है।” हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान द्वारा दशकों से किए जा रहे सीमा पार आतंकवाद का कोई जिक्र नहीं किया, जिसके कारण भारत में बार-बार निर्दोष लोगों की जान गई है।


विशेषज्ञों और सोशल मीडिया पर EU के रुख की आलोचना
काजा कल्लास के इस कथन के बाद विदेशी नीति विशेषज्ञों और कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने उनके ‘दोहरे रवैये’ की तीखी आलोचना की। लोगों ने याद दिलाया कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब काया कैलास ने कहा था:
“आक्रामकता को रोकना ज़रूरी है। डर के कारण कार्रवाई न करना खुद को नुकसान पहुँचाना है। रक्षा करना उकसाना नहीं होता।”
अब वही काजा कल्लास भारत और पाकिस्तान के मामले में दोनों को समान रूप से संयम बरतने की सलाह दे रही हैं, जिसे भारत विरोधी आतंकवाद के संदर्भ में काफी आपत्तिजनक बताया जा रहा है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं


- एक अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञ ने ट्वीट किया:
“यूरोप का ये बयान purposeless और ineffective है। इससे लगता है जैसे एक बार फिर भारत-पाक को बराबरी पर तौलने का दौर लौट आया है।” - ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा:
“आपको जानकारी होनी चाहिए कि बातचीत और कूटनीति की बातें भारत ने सालों से की हैं, लेकिन पाकिस्तान के आतंकवादी हमले कभी रुके नहीं। ऐसे में ‘संयम’ की सलाह देना सिर्फ मृतकों का अपमान है।” - कार्नेगी के विजिटिंग फेलो ओलिवर ब्लैरेल ने भी कहा:
“यूरोप का ये ‘equidistant’ स्टैंड निराशाजनक है। भारत ने कई बार पाकिस्तान को सबूत सौंपे हैं लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। ऐसे में भारत से सिर्फ चुप रहने की उम्मीद करना अनुचित है।”
जयशंकर का पुराना बयान फिर चर्चा में
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर का 2022 का बयान भी फिर चर्चा में आ गया है। उन्होंने ब्रातिस्लावा सम्मेलन में यूरोप के रवैये पर कहा था:
“यूरोप को ये समझना होगा कि उसके मुद्दे पूरी दुनिया के मुद्दे नहीं हैं, लेकिन दुनिया के मुद्दे उसके नहीं माने जाते।”
पहलगाम हमले के बाद भारत को उम्मीद थी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के आतंकवाद पर सीधे और सख्त प्रतिक्रिया देगा। लेकिन EU की तटस्थता भरी अपील ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत के विशेषज्ञों का मानना है कि ‘तटस्थता की नीति’ आतंकियों को ही मजबूत करती है, और ऐसी बयानबाज़ी का कोई व्यावहारिक असर नहीं होता।